वैसे तो प्रकाश अवस्थी छत्तीसगढ़ के जाने माने अभिनेता है जिन्होंने अपना सफर 24 साल पहले सुरु किया था, आप उन्हें उनकी फिल्म "टुरा रिक्शावाला" के नाम से पहचानते है, साथ ही इस फिल्म का निर्देशन नितेश लहरी जी ने किया है, ये उनके निर्देशन की 5वी फिल्म है, जिसमे उन्होंने अपना सारा अनुभव निचोड़ा है।
एक अभिनेता के तौर पे, आपने मुझे बहुत सारे अलग अलग किरदार में देखा है, और प्यार दिया है, मुख्यतः अपने मुझे नकारात्मक भूमिका में देखा है, परन्तु इस फिल्म में मैंने कुछ अलग करने की कोशिश की है, उम्मीद है मेरी बाकि फिल्मो की तरह ये भी आपको पसंद आएगी।
गीत संगीत अच्छे बन पड़े है, खास कर एक गीत इन दिनों सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है।
आप दर्शक जिनके लिए हम फिल्मे बनाते है, और कोशिश करते है आपका मनोरंजन कर सके, मैं निश्चित तौर पे कह सकता हु की कोई भी फिल्म मेकर कभी भी बुरा काम करने की कोशिश नहीं करता, वो अपनी झमता के अनुसार अपना बेस्ट ही देने की कोशिश करता है, जिसे सिर्फ 2 से 3 घंटे के प्रदर्शन में जनता या तो नकार देती है या स्वीकार करती है.
परन्तु मुद्दा नकारने या स्वीकारने का नहीं है, मुद्दा है की क्या हम अपने सिनेमा को देखते है, मेरा मतलब है आज छत्तीसगढ़ सिनेमा अपनी स्वं मेहनत से यहाँ खड़ी है और अपना भविष्य तलाश रही है, क्या हम छत्तीसगढ़ के लोग अपने सिनेमा को देखते है ? हम तय कर लेते है की ये अच्छी नहीं होगी, हम दूसरे भाषा के सिनेमा से अपना कम्पेयर करने लगते है, क्या हमारी जवाबदारी अपने भाषा के सिनेमा के प्रति अधिक नहीं होनी चाहिए ? क्या हमें अपने सिनेमा को बढ़ावा नहीं देना चाहिए ? जहा सरकार साथ नहीं दे रही, क्या समाज भी साथ ना दे ?
अच्छी फिल्म या बुरी फिल्म तब तय होनी चाहिए, जब आप उसे देखे और उसका आकलन करे, ना की बॉक्स ऑफिस या सुनी सुनाई बात से बवंडर बनाये।
एक शेर डॉ कुंवर बेचैन जी का याद आता है
"पूरी धरा भी साथ दे तो और बात है,
तू जरा भी साथ दे तो और बात "
मिलते है मित्रो, कई मेरे और आपके प्रशनो के साथ, 26 जुलाई 2024 को।
आपका क्रांति
